
SPORTS DESK : मास्टर-ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर क्रिकेट के सर्वकालिक महानतम खिलाड़ी हैं। वे अपने 24 साल के करियर के दौरान फिट रहने के लिए तमाम उपाय करते थे ताकि वे मानसिक और शारीरिक तौर पर चुस्त रहे। मास्टर-ब्लास्टर अपने करियर के दौरान कई मर्तबा जख्मी हुए और कई जटिल ऑपरेशन की प्रक्रियाओं से भी गुजरे हैं। सचिन की माने तो करियर के अंतिम पड़ाव पर एक ऐसा भी वक्त आया, जब उनका शरीर अब अधिक मेहनत की गवाही नहीं दे रहा था।
सचिन के मुताबिक लंदन में बाएं हाथ के ऑपरेशन के बाद वे क्रिकेट फील्ड पर दोबारा लौटने के लिए लगातार कड़ी मेहनत कर रहे थे। कुछ हफ्तों बाद ही चैंपियंस लीग 20-20 की शुरुआत होने वाली थी लिहाजा फिट होने के लिए कड़ी मेहनत शुरू कर दी।

फिट होने के लिए जोर आजमाइश
ऑपरेशन के बाद लंदन से मुंबई लौटकर सचिन ने फिट होने के लिए कार्डियो व्यायाम के तहत साइकिल चलाने का फैसला लिया। इसमें सचिन के दोस्त अतुल और फैजल ने भी साथ दिया।
पहले दिन सचिन अपने दोस्तों के साथ तक़रीबन 40 मिनट साइकिल चलाने के बाद बांद्रा में मैरी चर्च की ओर जाने वाली खड़ी चढ़ाई पर साइकिल दौड़ाने का फैसला लिया। सचिन के इस निर्णय पर उनके साथी फैजल ने हामी नहीं भरी और साथ जाने से साफ इंकार कर दिया लेकिन मास्टर-ब्लास्टर कहां मानने वाले थे। वे दूसरे दोस्त अतुल के साथ खड़ी चढ़ाई पर साइकिल दौड़ाने लगे।
..जब आंखों के सामने छाया अंधेरा
ऊपर पहुंचने पर सचिन और अतुल की सांसें फूलने लगीं लेकिन फिर सचिन ने एक मर्तबा और साइकिल चढ़ाने की बात कही। इस दफ़ा सचिन जब ऊपर पहुंचे तो उनकी तबीयत बिगड़ने लगी और तेज़ चक्कर आने लगे।
हालांकि सचिन ने खुद को संभालते हुए थोड़ा पानी पिया और स्ट्रेचिंग करने लगे लेकिन हालात में कुछ सुधार नहीं हुआ। उनकी आंखों के सामने अंधेरा छाने लगा और वे सड़क की डिवाइडर पर ही हाथ फैलाकर बैठ गये। सचिन की इस हालत को देख उनके दोस्त अतुल घबड़ा गये और आनन-फानन में पेड़ की बड़ी-बड़ी पत्तियां तोड़कर लाए और पंखा झलने लगे।

सदमे में आ गया ऑटो ड्राइवर
तेज चक्कर के बाद स्थिति में कोई सुधार न होता देख सचिन ने एक ऑटो रिक्शा रूकवाया और फिर उसकी पिछली सीट पर लेटने के लिए कहने लगे।
अतुल जबतक ऑटो रिक्शा वाले से बातें करते, तबतक लिटिल चैंपियन पिछली सीट पर जाकर लेट गये। सचिन की ये हालत देख ड्राइवर भी सदमे में आ गया। पांच मिनट बाद जब सचिन नॉर्मल हुए, तब उन्होंने ऑटो रिक्शा ड्राइवर को मदद के लिए धन्यवाद कहा और सौ रुपये दिये।
हालात में सुधार होने के बाद एकबार फिर सचिन अपने दोस्त अतुल के साथ ढलान पर साइकिल लेकर दौड़ने लगे। ढलान के नीचे उनका दूसरा दोस्त फैजल इंतज़ार कर रहा था। हालांकि इन सब वजहों के बाद भी सचिन की ट्रेनिंग नहीं रूकी और वे पूर्व की भांति ही नियमित वर्जिश करते रहे।